बदलते मौसम के दौरान बच्चों में होने वाली बीमारियां

6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को यदि 2 सप्ताह से अधिक समय तक सर्दी जुखाम होता है तो घरेलू उपचार की बजाय तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाएं|

पेट दर्द, सर्दी जुखाम और त्वचा संबंधी सकर संक्रमण आदि बच्चों में होने वाले आम बीमारियां हैं जिनमें मां-बाप छोटी-छोटी तकलीफ से समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं| लेकिन यही लापरवाही ठीक नहीं है आगे चलकर यही छोटी-छोटी बीमारियां उनके लिए परेशानियां बन जाती है| मौसम बदलने पर बच्चे में सही में सर्दी जुकाम होना आम बात है| बड़े लोगों की तुलना में 2 से 5 साल तक के बच्चों को जुखाम अधिक होता है| नाक बहना, ठीकना, थकान महसूस होना, गले में खराश और हल्का बुखार आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।


6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को यदि 2 सप्ताह से अधिक समय तक सर्दी जुखाम होता है तो घरेलू उपचार की बजाय तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाएं| ध्यान रहे नाक बंद होने पर बच्चों को सांस लेने में परेशानी होती है इसलिए सोते समय सर के नीचे नरम तकिया रखें।


बच्चे अक्सर गंदे हाथ या जमीन पर गिरी हुई चीजों को उठाकर मुंह में डाल लेते हैं. इससे उन्हें पेट संबंधी समस्या हो जाती है. तेज बुखार, पेट दर्द, उल्टी हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं| इसके साथ साथ ही शिशुओं में कब्ज की समस्या होना एक आम बीमारी है| उनके शरीर में फाइबर की कमी होने के कारण कब्ज की समस्या होती है|

बच्चों की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है इसलिए उन्हें त्वचा संबंधी संक्रमण भी जल्दी हो जाता है| इसके अतिरिक्त यदि शारीरिक स्वास्थ्य का सही तरीके से ध्यान ना रखा जाए तो तभी उन्हें त्वचा संबंधी संक्रमण हो जाता है| यदि संक्रमण बहुत अधिक दिन तक रहता है तो तुरंत त्वचा रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।

हृदयाघात

कभी-कभी स्वस्थ जीवन शैली और असुरक्षित खान-पान से अपनी कुछ बीमारियां हमारे शरीर में चुपचाप घर कर जाती है और हमें पता ही नहीं चलता हार्ट अटैक ऐसी श्रेणी में रखा जा सकता है हार्ट अटैक से पहले कुछ लक्षण दिखाई देते हैं| 

हार्ट अटैक के लक्षण 

  • सांस फूलना
  • दम घुटना
  • बेचैनी
  • नाभि के ऊपर दर्द आदि 


अगर इन सभी लक्षणों में के प्रति लापरवाही ना बरतें तो समय रहते रोगी को सही इलाज दिया जा सकता है|

डायबिटीज मधुमेह

मधुमेह भी गलत जीवनशैली से उपजी एक खतरनाक बीमारी है| डायबिटीज के लक्षण गला सूखने लगता है, थकान महसूस होती है, हाथ पैरों का सूजन होना शुरू, चुभने जैसा महसूस होना इनमें से कोई भी लक्षण ज्यादा समय तक बना रहे तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं|

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम

कभी-कभी ऐसी थकान बनी रहती है कि आराम करने पर भी तंदुरुस्त महसूस नहीं करते| इस बेवजह थकान को क्रोनिक फटीग सिंड्रोम कहा जाता है। अगर इसका समय रहते इलाज ना किया जाए तो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ने लगता है|

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम के लक्षण

एकाग्रता में कमी
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
जरा सा काम करते ही थकान महसूस होना
सर दर्द बने बने रहना आदि


ब्लड प्रेशर

ब्लड प्रेशर आधुनिक जीवन शैली की सामान्य बीमारी बंद कर ऊपरी है| इसे साइलेंट किलर तक कहा जाता है| जब किसी के शरीर में रक्त प्रवाह से कम हो जाता है तो उसे निम्न रक्तचाप या लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। लो ब्लड प्रेशर में धमनियों और नसों में रक्त का प्रभाव कम होने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं अक्सर लोगों अक्सर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं| 

ब्लड प्रेशर के लक्षण

  • चक्कर आना
  • आंखों के आगे अंधेरा आना
  • कुछ पल के लिए बेहोशी आना आदि 


इससे मरीज के हाथ पैर ठंडे रहते हैं, हॉट में मिक्स्ड बीच महसूस की जाती है|

उच्च रक्तचाप हाइपरटेंशन की स्थिति में ब्लड प्रेशर सामान्य स्टोर ऊपर चला जाता है| इस ध्वनियों पर हाई प्रेशर पड़ता है| उच्च रक्तचाप आधुनिक जीवनशैली में होने वाली गंभीर समस्या है| नींद ना आए, शीतलता रहे कम मेहनत करने पर सांस फूले नाक से खून करें तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।

एनीमिया

भारतीय महिलाओं में यह समस्या आम होती है महिलाएं परिवार का तो पूरा ध्यान रखती है| पर अपनी पोशाकता का ध्यान नहीं रखती यह आदतें उन्हें एनीमिया का शिकार बना देती है| 

एनीमिया के लक्षण

  • चेहरे का रंग पीला पड़ना
  • आंखे सफेद पड़ना
  • हार्ट बीट तेज चलना
  • लगातार थकान बने रहना
  • किसी काम में मन ना लगना

मस्तिष्क में अगर खून की कमी हो जाए तो व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है साथ ही आयरन की कमी हो जाने पर भी पूरा शरीर सफेद पड़ जाता है।


मशरूम

मशरूम में कुछ प्रकार के एंजाइम और रे-से पाए जाते हैं जो हमारे कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करते हैं| मशरूम फैट कम होने के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है जो दिल को रखने में मदद करता है साथ ही मशरूम में फाइबर भी प्रचुर मात्रा होती है| जो पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलने के लिए आवश्यक होती है|

एनीमिया से बचने के लिए मशरूम

एनीमिया से बचाव मशरूम में प्रचुर मात्रा में फोलिक एसिड पाया जाता है| जो शरीर के रक्त की कमी को दूर करता है और एनीमिया जैसे घातक रोगों से बचाता है| इससे थाईमीन, राइबोफ्लेविन, नलिन बायोटीन एस्कॉर्बिक एसिड विटामिनC और विटामिन D बड़ी मात्रा में पाया जाता है| जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है| कोशिकाओं का निर्माण मशरूम ना केवल शरीर में नई कोशिका या तेजी से निर्माण करता है बल्कि क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरमत  भी करता है| 

राष्ट्रीय रिसर्च सेंटर मशरूम सोलन हिमाचल प्रदेश की एक रिसर्च के अनुसार यह सिद्ध है कि मशरूम मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता 18 बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है 
बढ़ती उम्र के प्रभाव
  • त्वचा पर जोड़ियां
  • जोड़ों में दर्द
  • थकान
  • पौरूष शक्ति की कमी
  • बालों का झड़ना आदि को रोकता है।


डायबिटीज के लिए मशरूम

डायबिटीज मधुमेह की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए भी मशरूम काफी फायदेमंद है डायबिटीज में सुधार मशरूम सेट कोलेस्ट्रॉल हाई प्रोटीन की अधिकता को नियंत्रित करने में कारगर माना गया है यह प्राकृतिक नेचुरल इंसुलिन और एग्जाम के तौर पर काम करता है मशरूम में मौलिक कॉलिन भी पाया जाता है जो नींद यादाश्त और दिमाग बढ़ाने में मदद करता है।

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