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Showing posts from December, 2018

Fixed Deposit पैसे डबल करने का सबसे आसान तरीका है

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FD के बारे में कई बार सुना और पढ़ा होगा, बिना कुछ करे पैसे डबल करने का सबसे आसान तरीका है। FD का पूरा नाम है फिक्स डिपॉजिट, जब व्यक्ति किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी में अपनी राशि निश्चित समय के लिए जमा करता है, जिस पर बेहतर ब्याज दर मिलती है उसे FD कहा जाता है। FD के तहत जो राशि जमा की जाती है बैंक आमतौर पर बचत खाता से ज्यादा ब्याज देते हैं , बचत खाते में 3 से लेकर 6% तक की ब्याज दर होती है, जबकि FD अकाउंट में 7% से लेकर 9% तक ब्याज दिया जाता है। लगभग सभी बैंक FD की सुविधा प्रदान करते हैं. भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक या पोस्ट ऑफिस जैसे लगभग सभी फाइनेंस संस्थाएं FD खाता खुलवा सकते हैं। Fixed Deposit कैसे ओपन करते हैं FD अकाउंट ऑनलाइन या ऑफलाइन खुलवा सकते हैं, ऑफलाइन खुलवाने के लिए किसी भी बैंक शाखा में जाकर FD का फॉर्म भर कर जमा करना होता है, उसके बाद आपका FD अकाउंट ओपन कर दिया जाता है। ऑनलाइन नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करके FD अकाउंट ऑनलाइन भी खुलवाया जा सकता है, Fixed Deposit (FD) कराने के फायदे FD करवाने का सबसे बड़ा फायदा है कि आप का पैसा 100 प्रतिशत महफूस है

कैसे बचे धुंध और वायु प्रदूषण से

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आप जानते ही होंगे दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में तेरा शहर अकेले भारत के ही हैं गौरतलब है कि वायु प्रदूषण फेफड़े हृदय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क पाचन तंत्र और त्वचा पर तो असर डालता ही है स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का भी कारण बनता है हवा में प्रदूषण का एक कारण कुदरती जरिया है लेकिन सबसे बड़ी वजह आबादी के साथ वाहन और उद्योगों के अलावा पर्यावरण में बदलाव होना भी है प्रदूषित हवा का एहसास तब होता है जब जब संभोग हो या अधिक धूलिया दुआ हो नियमित एक्सरसाइज और योग से प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को दूर किया जा सकता है। हम आज बीमार पर्यावरण में जी रहे हैं प्राकृतिक के अंधाधुंध दोहन के अलावा कई कारणों से वातावरण प्रदूषित हो जाता जा रहा है प्रदूषण एक प्रकार का अत्यंत धीमा जहर है जो हवा पानी दूर से मिलकर हम सब को बीमार बनाता ही है साथ ही जीवन और जंतुओं को भी नष्ट कर देता है गौरतलब है कि कभी-कभी वातावरण में प्रदूषण बढ़ जाता है और हानिकारक तत्व का प्रवेश हो जाता है चर्म रोग नेत्र रोग स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां होने लगती है और कई ऐसे बीमारियां हैं जो कि इसी प्रदूषण की देन है रक्तचाप शुग

बाल्यकाल स्थूलता यानी बचपन का मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती

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बचपन में मोटापा बच्चों के लिए एक गंभीर खतरा है, बाल्यकाल स्थूलता यानी बचपन का मोटापा एक स्थिति है जिसमें शरीर में उपस्थित अतिरिक्त वसा बच्चे के स्वास्थ्य को खतरनाक नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है| बदलते जीवन शैली और खानपान की वजह से बच्चे बचपन में ही मोटापे के शिकार होते जा रहे हैं| बच्चों का लगातार बढ़ता वजन माता-पिता के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है| WHO विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज हमारे देश में एक-चौथाई बच्चों और किशोर मोटापे का शिकार है। बचपन का मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती भारत में ही लगभग हर हर घर में कोई ना कोई मोटापे की बीमारी से ग्रस्त है| मोटापा वह स्थिति है जब शरीर पर अत्याधिक शरीर वसा एकत्रित हो जाती है| जो धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है| मोटापा बहुत से लोगों के साथ रोगों के साथ जुड़ा है| हृदय रोग मधुमेह निंद्रा कालीन स्वास्थ्य समस्या आदि कम उम्र में बढ़ता वजन बहुत सी गंभीर बीमारियों को न्योता देता है| इससे बच्चे के विकास, दिल, किडनी, घुटने और अन्य कई बहुत महत्वपूर्ण अंगों पर प्रभाव पर बुरा असर पड़ता है| मो

बदलते मौसम के दौरान बच्चों में होने वाली बीमारियां

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पेट दर्द, सर्दी जुखाम और त्वचा संबंधी सकर संक्रमण आदि बच्चों में होने वाले आम बीमारियां हैं जिनमें मां-बाप छोटी-छोटी तकलीफ से समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं| लेकिन यही लापरवाही ठीक नहीं है आगे चलकर यही छोटी-छोटी बीमारियां उनके लिए परेशानियां बन जाती है| मौसम बदलने पर बच्चे में सही में सर्दी जुकाम होना आम बात है| बड़े लोगों की तुलना में 2 से 5 साल तक के बच्चों को जुखाम अधिक होता है| नाक बहना, ठीकना, थकान महसूस होना, गले में खराश और हल्का बुखार आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को यदि 2 सप्ताह से अधिक समय तक सर्दी जुखाम होता है तो घरेलू उपचार की बजाय तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाएं| ध्यान रहे नाक बंद होने पर बच्चों को सांस लेने में परेशानी होती है इसलिए सोते समय सर के नीचे नरम तकिया रखें। बच्चे अक्सर गंदे हाथ या जमीन पर गिरी हुई चीजों को उठाकर मुंह में डाल लेते हैं. इससे उन्हें पेट संबंधी समस्या हो जाती है. तेज बुखार, पेट दर्द, उल्टी हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं| इसके साथ साथ ही शिशुओं में कब्ज की समस्या होना एक आम बीमारी है| उनके शरीर में

गर्भवती महिलाओं की देखभाल एवं सावधानियां

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एक महिला के लिए मां बनने का एहसास जीवन के सबसे सुखद एहसास में एक होता है। गर्भावस्था के 9 महीने में एक महिला को कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक बदलाव के साथ तकलीफों का भी सामना करना पड़ता है। इसी नाजुक स्थिति में महिलाओं को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है इसलिए उन्हें पहली तिमाही में हर महीने में जांच कराना चाहिए। गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीने अहम सुबह के वक्त बुखार जी मचल आना कमजोरी लगना कम भूख लगना थकावट रहना उल्टी जैसी शिकायत कई इसी दौरान होती है लेकिन कई महिलाएं शुरूआती 3 महीने को काफी हल्के में लेती है| जबकि इसी दौरान गर्भ में शिशु का विकास होना जरूरी होता है जाहिर है इसी दौरान शरीर के बदलाव होने लगते हैं| खाने के स्वाद और त्वचा में भी बदलाव आने लगते हैं मानसिक रूप से चिड़चिड़ापन स्वभाविक है| लगातार भावनाओं का उतार-चढ़ाव बना रहता है गर्भावस्था में शारीरिक परिवर्तन चौथे महीने में पेट में संकुचन और दर्द दूसरी तिमाही से त्वचा की रंगत में परिवर्तन त्वचा में कालापन आना शुरू हो जाता है| मां के फेफड़े और अधिक हवा लेना शुरू कर देते हैं ताकि पेट म

अल्ट्रासाउंड स्कैन / सोनोग्राफी क्या है? सोनोग्राफी के बारे में पूरी जानकारी

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सोनोग्राफी यह अल्ट्रासाउंड non इमेजिंग तकनीक है, जिससे हाई फ्रिकवेंसी ध्वनि तरंगों की मदद से शरीर के आंतरिक भागों को देखा जाता है. आमतौर पर सोनोग्राफी शरीर के आंतरिक अंग देखने के लिए उपयोग किया जाता है. इसके अलावा शरीर में जमे पानी को ट्रेन करने के के लिए भी अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी की जरूरत पड़ती है. यदि रोगी को एफएनएसी अथवा नीडल बायोप्सी के सैंपल की आवश्यकता हो तब भी कभी-कभी अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है. सोनोग्राफी टेस्ट कैसे किया जाता है शरीर के किस अंग की जांच करनी हो उस पर Gel लगाया जाता है. उसके बाद अंग को देखने के लिए हाथ में पकड़े हुए प्रोब की मदद से इसे रगड़ा जाता है. आमतौर पर इस टेस्ट के दौरान किसी किस्म का दर्द का अनुभव नहीं होता है. लेकिन Gel लगाने से ठंडा ठंडा महसूस हो सकता है. यदि रोगी का एफएनएसी अथवा बायोप्सी का सैंपल लेते समय दर्द हो सकता है. इस टेस्ट करने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है यह टेस्ट कम से कम टेस्ट से हमें क्या जानकारी मिलती है रोड का आकार लोड का आकार पे लिवर पेनक्रियाज किला से और ओपन इसकी जानकारी से ले सकते हैं किडनी और मुद्रा से की जानकारी इस टेस्ट से क

भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय, राजनीतिक सफर, विचार और चिंतन

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Image Source twitter युगो युगो में कोई ऐसा शख्सियत पैदा होता है जिनके विचारों का देश और समाज पर गहरा असर पड़ता है.  उनके विचार से समाज और युग में क्रांतिकारी बदलाव हो जाते हैं. ऐसे ही युग पुरुष भारत रतन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर 1891 मध्य प्रदेश के महू में पैदा हुए, बाबा साहेब का बचपन शोषण पीड़ा और भेदभाव में गुजरा लेकिन उनके विचारों में अधिक असाधारण व्यक्तित्व के धनी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने ना केवल राष्ट्र निर्माण में महत्व अतुल्य योगदान दिया. बल्कि अपनी प्रखर बुद्धि क्रांतिकारी विचारों से समाज की हर क्षेत्र में बदलाव के वाहक बने. उन्होंने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक सोचने, धार्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और संवैधानिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसके लिए पूरा देश उनका रीणी है. उन्होंने आजाद भारत का संविधान बनाने में अगवाई की और भारत के पहले कानून मंत्री बने वह दलितों के लिए लड़े, महिलाओं के लिए लड़े और सामाजिक आर्थिक बदलाव के बड़े वाहक बने| 20 वीं सदी में दुनिया के महानतम लोगों की सूची में आदर के साथ उनका नाम लिया जाता है. 6 दिसंबर उनका महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है.

वृद्धावस्था में जीवन शैली को कैसे सुधारें

वृद्धावस्था में जीवन शैली आज हम बात करेंगे बढ़ती उम्र यानी वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियों की यह मुद्दा हम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2011 जनगणना के अनुसार देश में 10 करोड़ से अधिक वरिष्ठ नागरिक है असल में बढ़ती उम्र के साथ-साथ हर व्यक्ति के मन में आशंका रहने लगती है कि बुढ़ापा आने वाला है कुछ बदलाव तो उम्र के साथ होते हैं लेकिन खराब जीवनशैली तथा शारीरिक अभाव में व्यक्ति कुछ समस्याओं को खुद निमंत्रण देता है. बढ़ती उम्र में कुछ मानसिक तथा कुछ शारीरिक समस्या व्यक्ति को परेशान करती है भावना तत्मक तौर भी व्यक्ति स्वयं को बहुत कमजोर महसूस करता है छोटी-छोटी बातों पर बुरा मानना बार-बार बातों को दोहराना स्वयं अपेक्षित महसूस करना अकेलापन तथा स्वयं को दूसरों पर आश्रित महसूस करता है इसकी बहुत बड़ी वजह है संयुक्त परिवार का अभाव भौतिक चकाचौंध पैसों को महत्व महत्व देना दो पीढ़ियों के विचारों में अंतर समय का अभाव तथा बच्चों का बड़ों के प्रति लगाव की कमी होना इसकी वजह है सारणिक दुर्लभता के कारण बुढ़ापे में हड्डी मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है. हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग कैंसर आंखों की

Indian Navy Day नौसेना दिवस 4 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

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4 दिसंबर 1973 को पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान  नौसेना ने युद्ध साहस और भारत की जीत का जशन बनाने के लिए हर साल नौसेना दिवस मनाया जाता है. पाकिस्तान सेना द्वारा किए गए हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने ऑपरेशन ट्राइडेंट जलाया था. इस युद्ध में भारतीय युद्धपोत ओं ने कराची बंदरगाह पर हमला कर पश्चिमी तट पाकिस्तान की कार्रवाई को निशाना बनाया था. यह दिन शांति काल समुद्री सीमा को सुरक्षित रखने और मानवीय सहायता अभियानों में नौसेना की भूमिका को उजागर करने के लिए भी मनाया जाता है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस मौके पर नौसेना को शुभकामनाएं दी है और राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में कहा नौसेना दिवस पर भारतीय नौसेना के नौसैनिकों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। हमारी समुद्री सरहदों और व्यापारिक जलमार्गों की सुरक्षा तथा आपदाओं के समय देशवासियों की सहायता के प्रति आपकी प्रतिबद्धता के लिए देश को आप पर नाज है — राष्ट्रपति कोविन्द — President of India (@rashtrapatibhvn) December 4, 2018 उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने नौसेना दिवस पर नौसेना कर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों को बधाई दी है

भारत में पेट्रोल पंप खोलने की पूरी प्रक्रिया क्या है?

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अगर आप पेट्रोल पंप खोलने के इच्छुक है, अपना खुद का पेट्रोल पंप खोलना चाहते हैं तो यह आपके लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है क्योंकि पेट्रोल पंप कंपनियों ने 2019 के आखिर तक नए 65000 पेट्रोल पंप खोलने का टारगेट रखा है. जिसके बाद से हमारे देश में पेट्रोल पंप की संख्या लगभग दोगुनी हो जाएगी. पेट्रोल पंप लाइसेंस योग्यता पेट्रोल पंप खोलने की योग्यता पेट्रोल पंप खोलने के लिए सिर्फ तीन योग्यता ही आवश्यक होती है जिसमें भारतीय नागरिकता, 18 से 60 साल के बीच में उम्र और किसी भी भारतीय शिक्षा संस्थान से 12th पास होना चाहिए. जमीन की जरूरत जमीन की जरूरत पेट्रोल पंप खोलने के लिए सबसे जरूरी जमीन ही है. अगर आपके पास अपने नाम पर कोई जमीन नहीं है तो आप किराए पर जमीन ले सकते हैं. इसके लिए जमीन के मालिक से एनओसी सर्टिफिकेट लेना होता है. अगर आपके पास अपनी या अपने रिश्तेदार की किसी जमीन है तो आप पेट्रोल पंप की डीलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं. राज्य सड़क 1200 से 1600 शहरी सड़क सड़क में 18 वर्ग मीटर कम से कम जमीन होनी चाहिए आवेदन कैसे करें पेट्रोल पंप डीलरशिप के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं इसके ल

Eosinophil काउंट क्या है? एलर्जी, संक्रमण के लिए रक्त परीक्षण

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ल्यूकोसाइट और इओसिनोफिलिया यह रक्त में पाई जाने वाली सफेद कोशिका होती है. यह कोशिकाएं हमारे शरीर का बचाव करती है किसी भी तरह का बैक्टीरिया वायरस पैरासाइट यदि हमारे शरीर में आ जाते हैं. तो यह कोशिकाएं उनको खत्म कर हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है. इओसिनोफिलिया अनोखी खास किस्म के ल्यूकोसाइट होते हैं. जो कि हमारे शरीर को एनर्जी और पैरासाइट से बचाते हैं.  डॉक्टर यह टेस्ट करवाने के लिए क्यों कहते हैं जब भी डॉक्टर को आशंका होती है कि रोगी  कोई एलर्जीक बीमारी है जैसे अस्थमा त्वचा की एलर्जी तो यह एप्स लूट ही सुनो रक्त टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं.  यह टेस्ट कैसे किया जाता है? इसके इसके लिए रक्त का नमूना लिया जाता है जो कि रोगी के बाजू से लिया जाता है. टेस्ट के लिए किसी खास तरह की तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती है. रक्त नमूना रोगी की सुविधा के अनुसार किसी भी वक्त लिया जा सकता है इओसिनोफिलिया अकाउंट ज्यादा होने के कारण इओसिनोफिलिया अकाउंट एलर्जीक बीमारियों में बढ़ जाता है जैसे अस्तमा बुखार त्वचा की एलर्जी से इसके अलावा यदि रोगी को संक्रमण हो तो इओसिनोफिलिया अकाउंट बढ़ जाता है. कभी

ब्रेस्ट फीडिंग कराने का सही तरीका क्या है?

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बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग करआते वक्त कई बार दूध फूड पाइप के बजाय विंड पाइप में चला जाता है और विंड पाइप से फेफड़ों में चला जाता है जिससे बच्चों पर खतरा बढ़ जाता है. तो ब्रेस्ट फीडिंग कराने का सही तरीका जानना बहुत आवश्यक है. गर्भवती महिलाओं की देखभाल एवं सावधानियां अल्ट्रासाउंड स्कैन / सोनोग्राफी क्या है? पुरुषो ओर औरतों की छाती से जुड़े रोचक तथ्य ब्रेस्ट फीडिंग कराने का सही तरीका क्या है?   यह जांच लें कि बच्चे का सिर और शरीर एक से एक सिद  में ना हो  सर को थोड़ा उठा कर रखना बेहतर होता है  बच्चे भूखे होने पर तेजी से दूध पीते हैं ऐसे में खास ख्याल रखें की खस्ता / खांसी ना आए  दूध पिलाने वाली मां का कंफर्टेबल होना जरूरी है  बच्चे की गर्दन कंधे और पीठ को अपने हाथ का सहारा दे  ब्रेस्ट फीडिंग कराने के लिए बच्चे को की और झुके नहीं  बच्चों को दूध पिलाने के बाद उसकी पीठ सहला दे  दूध पीने के बाद बच्चे का डकार लेना बेहतर होता है

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और निदान कैसे किया जाता है

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Breast Cancer स्तन कैंसर विश्व भर में महिलाओं में होने वाला आम के अंतर है| स्तन कैंसर एक तेजी से बढ़ती हुई गंभीर समस्या है पश्चिम देशों की अपेक्षा भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर कम उम्र में शिकार बना ले बना रहा है| शहरों और महानगरों में रहने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का अधिक मामले देखे जा रहे हैं| आम तौर पर शरीर के हार्मोन में परिवर्तन के साथ स्तन में भी सामान्य परिवर्तन होते हैं| उनकी कोशिशों में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं जो एक सामान्य प्रक्रिया है| यह हार्मोन कोशिकाओं के रिसेप्टर और अनुवांशिक कोशिकाओं के तालमेल से व्यवस्थित समूह की तरह जीवन भर कार्य करते रहते हैं| यदि इन कौशिकओं में वृद्धि aनियंत्रण रूप से होने लगे तो एनियंत्रण वृद्धि के कारण स्तन में गांठ बन जाती है| यह गाड़ी निर्णय सामान्य ज्ञान से युक्त हो सकती है अगर यह कैंसर हो तो यह तेजी से बढ़ता है इसमें इलाज नहीं किया ना किया जाए ने किया जाए या इलाज में विलंब हो तो कुछ ही समय में कैंसर से शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है| और जीवन के लिए खतरा बन जाता है कैंसर stage 3 4  पर इलाज मुश्किल हो जाता है| यदि स्तन कैंसर की प