कैसे बचे धुंध और वायु प्रदूषण से
आप जानते ही होंगे दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में तेरा शहर अकेले भारत के ही हैं गौरतलब है कि वायु प्रदूषण फेफड़े हृदय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क पाचन तंत्र और त्वचा पर तो असर डालता ही है स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का भी कारण बनता है हवा में प्रदूषण का एक कारण कुदरती जरिया है लेकिन सबसे बड़ी वजह आबादी के साथ वाहन और उद्योगों के अलावा पर्यावरण में बदलाव होना भी है प्रदूषित हवा का एहसास तब होता है जब जब संभोग हो या अधिक धूलिया दुआ हो नियमित एक्सरसाइज और योग से प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को दूर किया जा सकता है।
हम आज बीमार पर्यावरण में जी रहे हैं प्राकृतिक के अंधाधुंध दोहन के अलावा कई कारणों से वातावरण प्रदूषित हो जाता जा रहा है प्रदूषण एक प्रकार का अत्यंत धीमा जहर है जो हवा पानी दूर से मिलकर हम सब को बीमार बनाता ही है साथ ही जीवन और जंतुओं को भी नष्ट कर देता है गौरतलब है कि कभी-कभी वातावरण में प्रदूषण बढ़ जाता है और हानिकारक तत्व का प्रवेश हो जाता है चर्म रोग नेत्र रोग स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां होने लगती है और कई ऐसे बीमारियां हैं जो कि इसी प्रदूषण की देन है रक्तचाप शुगर एनसी की लाइट ऑफ सनौली अम्मा हैजा मलेरिया।
प्रदूषण सबसे पहले बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाता है प्रदूषण हवा गले में खराश खांसी नाक में एलर्जी इरिटेशन जैसी समस्या लेकर आती है जो लोग अस्थमा हार्ड किडनी या ब्लड प्रेशर के मरीज है उनके लिए यह हवा बेहद खतरनाक है इसके अलावा वाहनों उद्योगों आदि से निकलता दुआ हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं यह रिसोर्सेस के मुताबिक एक रिसर्च के मुताबिक अगर हवा में मौजूद धूल कणों की एकाग्रता में 10 माइक्रोग्राम की कमी आ जाती है तो व्यक्ति का जीवन समय शून्य दशमलव 70% प्रतिवर्ष घटता है बढ़ता है जबकि कुल जीवन में की अवधि 15% तक बढ़ जाती है।
मानव मस्तिष्क में पाए जाने वाले अधिकांश मैग्नेटाइट चुंबकीय लोहे के ऑक्साइड का योगिक का मुख्य रूप उच्च मात्रा में उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित वायु जहां नुकसान दे होती है वही फेफड़ों के कैंसर और विभिन्न हृदय रोग smoking सबसे कारणों में से एक माना जाता है।
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