बाल्यकाल स्थूलता यानी बचपन का मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती

कम उम्र में बढ़ता वजन बहुत सी गंभीर बीमारियों को न्योता देता है| इससे बच्चे के विकास, दिल, किडनी, घुटने और अन्य कई बहुत महत्वपूर्ण अंगों पर प्रभाव पर बुरा असर पड़ता है| मोटापा इंसान को उम्र से पहले  और भी दिखाता है|

बचपन में मोटापा बच्चों के लिए एक गंभीर खतरा है, बाल्यकाल स्थूलता यानी बचपन का मोटापा एक स्थिति है जिसमें शरीर में उपस्थित अतिरिक्त वसा बच्चे के स्वास्थ्य को खतरनाक नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है| बदलते जीवन शैली और खानपान की वजह से बच्चे बचपन में ही मोटापे के शिकार होते जा रहे हैं| बच्चों का लगातार बढ़ता वजन माता-पिता के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है| WHO विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज हमारे देश में एक-चौथाई बच्चों और किशोर मोटापे का शिकार है।

बचपन का मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती

भारत में ही लगभग हर हर घर में कोई ना कोई मोटापे की बीमारी से ग्रस्त है| मोटापा वह स्थिति है जब शरीर पर अत्याधिक शरीर वसा एकत्रित हो जाती है| जो धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है| मोटापा बहुत से लोगों के साथ रोगों के साथ जुड़ा है|
  • हृदय रोग
  • मधुमेह
  • निंद्रा कालीन स्वास्थ्य समस्या आदि


कम उम्र में बढ़ता वजन बहुत सी गंभीर बीमारियों को न्योता देता है| इससे बच्चे के विकास, दिल, किडनी, घुटने और अन्य कई बहुत महत्वपूर्ण अंगों पर प्रभाव पर बुरा असर पड़ता है| मोटापा इंसान को उम्र से पहले  और भी दिखाता है| बात चाहे नई नई तकनीकों की हो या टीवी, इंटरनेट कि बच्चों का सारा दिन एक ही जगह पर बैठा रहना जहां स्वास्थ्य के हित में नहीं होता वहीं कोल्ड ड्रिंक, जूस, तली हुई चीजें, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि मोटापे के कारण होते हैं।

बाल्यकाल स्थूलता (Childhood Obesity) के लक्षण

  • बार बार सांस फूलने की समस्या
  • थकान का महसूस करना
  • पीठ और जोड़ों में दर्द की समस्या का होना
  • बार बार पसीना आना


इसके अलावा मोटापे से बेहाल बच्चों को नींद में बहुत ज्यादा खराटे लेते हुए देखा जाता है जैसे जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है उनके हार्मोन में बदलाव आने लगते हैं| मसल्स उtको का निर्माण कम हो जाता है| शरीर में पोषक तत्वों की जरूरतें बदल जाती है और शरीर में Food को प्रोसेस करने के तरीके में बदलाव आ जाता है| शरीर में कार्बोहाइड्रेट आसानी से प्रोसेस नहीं होता है मेटाबॉलिक रेट भी तेजी से कम होने लगता है जिसके कारण शरीर मोटा होने लगता है।


मोटापे या असफलता से ग्रस्त व्यक्ति में पहली समस्या यह होती है कि वह आमतौर पर भावुक होते हैं या मनोवैज्ञानिक रूप से समया ग्रस्त होते हैं कुछ अन्य विकारों में शामिल है
  • यकृत रोग
  • yo1 आरंभ का जल्दी होना
  • लड़कियों में मासिक धर्म का जल्दी शुरू हो जाना
  • एलओरेपिया 
  • बोलीमियांकहोना
  • बच्चा में संक्रमण का होना
  • अस्थमा जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या


बच्चों में मोटापा कम करने के उपाय

विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार भारत 2020 में बच्चों के मोटापे की राजधानी बन जाएगा इसके लिए कुछ उपाय करने होंगे क्योंकि यह समस्या बढ़ती जा रही है और इसके कारण और बीमारियां बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है इसके लिए बच्चों को अच्छा खाना व्यायाम करना अच्छा रहन-सहन आउटडोर खेल खेलने चाहिए।


कई बार हम बिना जानकारी के उन आहार का सेवन कर लेते हैं जिनकी जिसकी वजह से पेट में सूजन होती है यह सूजन लीवर और दिल को दिल की गड़बड़ी के कारण से होती है खाया पिया ना पचना कब्ज गैस के कारण पेट फूला हुआ लगता है यदि पेट में सूजन कम होगी तो तो अपने आप ही अंदर चली जाएगी|

गौरतलब है कि अगर आपको कब्ज रहती है तो पेट में गैस बनी रहेगी इससे पेट फुला हुआ और सख्त रहता है| यह समस्या फाइबर और तरल पदार्थों की कमी की वजह से होती है| इसे दूर करने के लिए हरी सब्जियां दालें बीज और फल को शामिल करें| साथ ही दिन में कम से कम 10 से 12 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए और व्यायाम को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं|

पेट में सूजन के लिए जिम्मेदार कारक

व्यस्त जीवन शैली के चलते खाना ढंग से और शांतिपूर्ण नए गाना, भोजन को पचाने के लिए उसे शांतिपूर्ण और चबाकर खाएं, चना खाने से शरीर के अंदर हवा चली जाती है जो पेट में स्वेलिंग सूजन और का कारण बनती है इसलिए हर को धीरे धीरे और अच्छे से चबाकर खाएं|

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