ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और निदान कैसे किया जाता है
Breast Cancer स्तन कैंसर विश्व भर में महिलाओं में होने वाला आम के अंतर है| स्तन कैंसर एक तेजी से बढ़ती हुई गंभीर समस्या है पश्चिम देशों की अपेक्षा भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर कम उम्र में शिकार बना ले बना रहा है| शहरों और महानगरों में रहने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का अधिक मामले देखे जा रहे हैं| आम तौर पर शरीर के हार्मोन में परिवर्तन के साथ स्तन में भी सामान्य परिवर्तन होते हैं| उनकी कोशिशों में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं जो एक सामान्य प्रक्रिया है| यह हार्मोन कोशिकाओं के रिसेप्टर और अनुवांशिक कोशिकाओं के तालमेल से व्यवस्थित समूह की तरह जीवन भर कार्य करते रहते हैं| यदि इन कौशिकओं में वृद्धि aनियंत्रण रूप से होने लगे तो एनियंत्रण वृद्धि के कारण स्तन में गांठ बन जाती है| यह गाड़ी निर्णय सामान्य ज्ञान से युक्त हो सकती है अगर यह कैंसर हो तो यह तेजी से बढ़ता है इसमें इलाज नहीं किया ना किया जाए ने किया जाए या इलाज में विलंब हो तो कुछ ही समय में कैंसर से शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है| और जीवन के लिए खतरा बन जाता है कैंसर stage 3 4 पर इलाज मुश्किल हो जाता है|
यदि स्तन कैंसर की पहचान प्राथमिक अवस्था में हो पाए तो समय पर इलाज मिले तो ठीक होने की संभावना अधिक होती है| रोगी का जीवन भी बेहतर बनाए रखना संभव हो जाता है| लेकिन इसके लिए स्तन कैंसर के लक्षणों के विशेषज्ञ में जानकारी और हर महीने स्तन की स्वयं जांच करना जरूरी है| स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाली कई कारण है जो जीवन शैली से संबंधित है इसलिए स्तन कैंसर बढ़ते खतरे को कम करने के लिए बचाव के लिए क्या किया जाए यह समझना भी आवश्यक है|
भारत में महानगरों में हर 22 महिलाओं में एक महिला और गांव में 60 महिलाओं में से एक महिला प्रभावित होती है| WHO के आंकड़े कहते हैं कि भारत में 60% रोगी रॉकी स्टेज 3 4 में सामने आते हैं जिससे भारत की महिलाओं और उनके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित प्राथमिकता और जागरूकता रखनी होगी| जिससे भारत की महिलाओं को अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता रखनी होगी| स्तन कैंसर महिलाओं में हर उम्र में के लिए खतरनाक है| इसका जिम्मेदार काफी हद तक जीवन शैली को माना जा सकता है|
ब्रेस्ट कैंसर का निदान कैसे किया जाता है
स्तन कैंसर के निदान के लिए मैमोग्राफी टेस्ट किया जाता है यह खास किस्म का टेस्ट ब्रेस्ट इमेजिंग तकनीक जिससे ब्रेस्ट का पता चल सकता है| इस टेस्ट के लिए रोगी को कपड़े निकाल कर एक्स रे मशीन के सामने खड़ा किया जाता है| उसके बाद रोगी का स्तन एक प्लास्टिक प्लेट पर रखा जाता है दूसरी प्लास्टिक प्लेट ऊपर से नीचे लाकर ब्रेस्ट को दबाया जाता है| आमतौर पर इस टेस्ट में के दौरान दर्द का कोई अनुभव नहीं होता है| लेकिन कुछ स्पेशल को दबाव महसूस हो सकता है यदि गांठ बड़ी हो तो दर्द भी हो सकता है|इस टेस्ट के साथ-साथ एफएनएसी का रिपोर्ट भी जरूरी है और इसकी पुष्टि के लिए बायोप्सी की जरूरत पड़ती है|
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