वृद्धावस्था में जीवन शैली को कैसे सुधारें

वृद्धावस्था में जीवन शैली आज हम बात करेंगे बढ़ती उम्र यानी वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियों की यह मुद्दा हम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2011 जनगणना के अनुसार देश में 10 करोड़ से अधिक वरिष्ठ नागरिक है असल में बढ़ती उम्र के साथ-साथ हर व्यक्ति के मन में आशंका रहने लगती है कि बुढ़ापा आने वाला है कुछ बदलाव तो उम्र के साथ होते हैं लेकिन खराब जीवनशैली तथा शारीरिक अभाव में व्यक्ति कुछ समस्याओं को खुद निमंत्रण देता है.

बढ़ती उम्र में कुछ मानसिक तथा कुछ शारीरिक समस्या व्यक्ति को परेशान करती है भावना तत्मक तौर भी व्यक्ति स्वयं को बहुत कमजोर महसूस करता है छोटी-छोटी बातों पर बुरा मानना बार-बार बातों को दोहराना स्वयं अपेक्षित महसूस करना अकेलापन तथा स्वयं को दूसरों पर आश्रित महसूस करता है इसकी बहुत बड़ी वजह है संयुक्त परिवार का अभाव भौतिक चकाचौंध पैसों को महत्व महत्व देना दो पीढ़ियों के विचारों में अंतर समय का अभाव तथा बच्चों का बड़ों के प्रति लगाव की कमी होना इसकी वजह है

सारणिक दुर्लभता के कारण बुढ़ापे में हड्डी मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है. हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग कैंसर आंखों की रोशनी में कमी कम सुनना या बोलना घुटनों के जोड़ों में दर्द इत्यादि कुछ सामान्य सी बीमारी है जो अधिकतर बढ़ती उम्र के साथ दस्तक देती है यदि हम युवावस्था में ही अपनी जीवनशैली संतुलित खानपान नियमित व्यायाम पर ध्यान दें तो काफी हद तक बीमारियों से बचा जा सकता है

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